NASA ने अपना अंतरिक्षयान(Parker Solar Probe) सूर्य की धधकती किरणे कोरोना लेयर में पहुचा दिया, जिसका तापमान लगभग 20 लाख डिग्री फॉरेन्हाइट है. तब भी यह धधकती किरणें अन्तरिक्षयान का कुछ नहीं बिगाड़ सकी.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने असंभव को संभव कर दिखाया है. इतिहास में पहली बार किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य के कोरोना को छुआ है. जिसका वातावरण करीब 20 लाख डिग्री फारेनहाइट रहता है. इसे सोलर विज्ञान और अंतरिक्ष की दुनिया में नासा के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है. ये एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे अभी तक विज्ञान की दुनिया में असंभव माना जा रहा था. लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस असंभव को संभव कर पूरी दुनिया को चमत्कृत कर दिया है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने इतिहास रच दिया है. नासा के अंतरिक्षयान पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) सूरज को छूने वाला दुनिया का पहला अंतरिक्षयान बन गया है.
Parker Solar Probe Launch-
पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) अंतरिक्षयान को 28 अगस्त 2018 को नासा के द्वारा स्टेट आफ फ्लोरिडा से लांच किया गया था और यह यान सारे ग्रहों को पीछे छोड़ते हुए अप्रैल 2021 को सूरज के सबसे नजदीक कोरोना में पहुचा. जिसको पूरी दुनिया के सामने 8 महीने बाद 14 दिसम्बर को बताया गया. NASA के वैज्ञानिको को यकीन ही नहीं हो रहा था की पार्कर सोलर प्रोब वहाँ पहुच गया है. हलाकि यह उसका आठवां चक्कर था.
पार्कर सोलर प्रोब ने 28 अप्रैल को सूर्य के ऊपरी वायुमंडल कोरोना में सफलतापूर्वक प्रवेश किया और उड़ान भरी. फिर उसने आग के गोले की सतह पर स्थित कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का नमूना लिया. ये सफलता हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के सदस्यों सहित वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बड़े स्तर पर किए गए सहयोग के कारण संभव हो सकी है. इन्होंने प्रोब में लगे एक महत्वपूर्ण उपकरण सोलर प्रोब कप का निर्माण किया और फिर उसकी निगरानी की.
Corona Layer –
आपको बता दें कि सूर्य के वायुमंडल जिसे कोरोना भी कहा जाता है का तापमान लगभग 11 लाख डिग्री सेल्सियस (करीब 20 लाख डिग्री फारहेनहाइट) है. इतनी गर्मी कुछ ही सेकंड्स में पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी पदार्थों को पिघला सकती है. इसलिए वैज्ञानिकों ने स्पेसक्राफ्ट में खास तकनीक वाली हीट शील्ड्स लगाई, जो कि लाखों डिग्री के तापमान में भी अंतरिक्ष यान को सूर्य के ताप से बचाने का काम कर सकती थी.
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कोरोना क्या है –
सूरज के चारो तरफ जो लपटे है उसे कोरोना कहते है
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यह किस चीज से बना था –
ऐसे में इस उपकरण को उच्च गलनांक वाले पदार्थ जैसे- टंगस्टन, नियोबियम, मॉलिबिडनम और सैफायर की मिलावट से तैयार किया गया है
- 1950 में अमेरिका वालो के यह तय कर लिया था की आने वाले दिनों में हम सूरज पर पहुचेंगे जो आज 2021 में पूरा हुआ.
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सूरज का तापमान उसके वायुमंडल में ज्यादा है और उसके सतह पर कम –
वैज्ञानिक अब तक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर क्यों सूर्य का बाहरी वायुमंडल 20 लाख डिग्री सेल्सियस तक गर्म है, जबकि खुद सूर्य का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस ही अनुमानित है. एस्ट्रोफिजिसिस्ट्स का अंदाजा है कि सूर्य की गर्मी से इसके आसपास मैग्नेटिक फील्ड्स (चुंबकीय क्षेत्र) पैदा होती हैं, जो कि सूर्य की ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देती हैं और इसके आसपास के वातावरण को लाखों डिग्री सेल्सियस तक गर्म कर देती हैं. लेकिन यह बात अभी भी साफ नहीं है कि सूर्य का वायुमंडल आखिर इस ऊर्जा को सोखता कैसे है?
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विज्ञान के लिए इस उपलब्धि के क्या मायने-
पृथ्वी को रोशनी और गर्मी देने वाले इस तारे के बारे में अब तक ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई. खासकर सूर्य की बनावट को लेकर अब तक संशय की स्थिति रही है. ऐसे में पार्कर सोलर प्रोब का सूर्य के वायुमंडल में पहुंचना सूर्य से जुड़े राज को खोलने के लिए अहम है.
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