जानिए कौन हैं नंबी नारायणन(Nambi Narayanan Sir), जिन्होंने जासूसी के आरोप में काटी जेल, फिर सरकार को देना पड़ा पद्म भूषण
नम्बी नारायणन का परिचय
भारत के एक मशहूर स्पेस रॉकेट वैज्ञानिक एस. नम्बी नारायणन जिन्होने अपने पूरे जीवन को देशभक्ति में समर्पित कर दिया. नंबी नारायण के जीवन का इतिहास भी काफी रोचक रहा है. उनके बारे में कहा जाता है की उन्होंने भारत में हाल की मे हुए मंगल मिशन को आज से 20 साल पहले ही पूरा कर दिया होता अगर उनके साथ वो एक हादसा न हुआ होता जिसमें उन पर जासूसी के आरोप लगे थे और उन्हें देशद्रोही कहा गया था. हमारे इस लेख के माध्यम से आपको उन्हीं के बारे मे व उनके जीवन परिचय के बारे में बताया जा रहा है जिससे आपको उनके जीवन के बारे में समझ सकें.
नंबी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर थे, जिन्हें जासूसी के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, बाद में उन पर लगाए गए सारे आरोप झूठे साबित हुए और सरकार को उन्हें हर्जाना भी देना पड़ा।
रॉकेट तकनीकी को आगे ले गए
एस. नंबी नारायणन का जन्म 12 दिसंबर 1941 को एक तमिल फैमिली में हुआ। उन्होंने नागरकोल के डीवीडी स्कूल से अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी की। इसके बाद मेधावी छात्र नंबी ने केरला के तिरुवनंतपुरम के इंजीनियरिंग कॉलेज से एमटेक की डिग्री ली। 1969 में नारायणन ने नासा की एक प्रतिष्ठित फेलोशिप जीती, जिसके बाद वे पढ़ाई करने के लिए अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी चले गए। जहां उन्हें रॉकेट की तकनीकी समझने के साथ-साथ अपना लक्ष्य समझने में भी मदद मिली।
इसरो के लिये किये काम
भारत लौटने के बाद नंबी नारायणन ने इसरो में काम करना शुरू किया। भारत में लिक्विड फ्यूल राकेट टेक्नोलॉजी लाने वाले वे ही थे। देश में पहले राकेट टेक्नोलॉजी सॉलिड प्रोपेल्लेंट्स पर निर्भर थी, लेकिन 1970 में नंबी लिक्विड फ्यूल राकेट टेक्नोलॉजी भारत में लेकर आए और इसके साथ ही देश में ईंधन रॉकेट प्रौद्योगिकी की शुरुआत हुई। जिसका उपयोग इसरो ने अपने कई रॉकेटों के लिए किया था, जिनमें ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) शामिल हैं। नंबी नारायणन ने अपने करियर में विक्रम साराभाई, सतीश धवन और एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम किया।
देश के लिए समर्पित वैज्ञानिक को फसाया गया
इसरो में काम करने के दौरान साल 1994 में Nambi Narayanan पर भारतीय आंतरिक्ष प्रोग्राम से जुड़ी गोपनीय जानकारी को लीक करने का झूठा आरोप लगा। आरोप थे कि उन्होंने आंतरिक्ष प्रोग्राम की जानकारी मालदीव के दो नागरिकों को साझा की है, जिन्होंने इसरो के रॉकेट इंजनों की इस जानकारी को पाकिस्तान को बेच दी थी। इन आरोपों के बाद केरल सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 50 दिनों की जेल काटने और पुलिस के अत्याचार सहने के बाद नंबी को रिहा कर दिया गया।
सीबीआई (CBI) जांच के बाद हुआ साफ
अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए नांबी नारायणन ने एक लंबी कनूनी लड़ाई लड़ी। नंबी पर लगे आरोपों को 1996 में सीबीआई ने खारिज कर दिया, जिसके बाद 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें बेकसूर बताया और केरल सरकार को उत्पीड़न करने के लिए मुआवजा देने के लिए कहा। इस केस को जीतने के बाद केरल सरकार में गजब की उठा पटक भी देखने को मिली। अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने नमबी नरायाणन पर रचे गए इस साजिश की सीबीआई जांच करने का भी आदेश दिया।
जीतने के बाद मिला पद्म भूषण सम्मान
जासूसी केस में जीत हासिल करने के बाद केरल सरकार ने नंबी को 1.3 करोड़ रूपये बतौर मुआवजा अदा किया। साल 2019 में नारायणन को सरकार ने भारत के तीसरे सबसे प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से भी नवाजा।
Nambi Narayanan पर जो भी आरोप लगे थे वे सीबीआई की जांच में झूठ पाये गये थे. सीबीआई ने अपनी जांच मे बताया था की भारत की स्पेस एजेंसी के प्रोग्रामों को नष्ट करने के लिए उन्हे झूठे आरोपों मे फंसाया गया था. कुछ जानकारों की मानें तो यह भी कहा जा सकता है की उन्होंने उनका ऑफर लेने से इनकार कर दिया था जिस के बाद अमेरिका के इशारों पर उन्हें तत्कालीन सरकार द्वारा फसाया गया था. यह पूरा काम भारत के स्पेस सैटेलाइट को खत्म करने का था. अमेरिका को इस बात का डर था की कही भारत स्पेस के क्षेत्र मे आत्मनिर्भर न बन जाये जिस वजह से उन पर यह आरोप लगाये गये थे.
कहते है सत्ता की ताकत से कोई कुछ भी कर सकता है. फिस चाहे देश को बर्बाद करना हो या बनाना. ऐसे मे सत्ता के सत्ताधारी ही उनको गलत आरोपों मे फसाया जा रहा था. साल 1996 में केरल की कोर्ट ने उन्हें निर्दोष साबित किया और इस केस से जुड़े सभी आरोपियों को निर्दोष ठहराया और उन्हें जेल से रिहा कर दिया. उनकी रिहाई के बाद केरल की सरकार ने उनकी जांच एक बार और करने की अपील की परन्तु भारत की सर्वोच्च कोर्ट ने उनकी इस जांच करने करने ही अपील को खारिज कर दिया.
नम्बी नारायणन पर आधारित फिल्म Rocketry: The Nambi Effect
रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट एक भारतीय जीवनी नाटक फिल्म है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर Nambi Narayanan के जीवन पर आधारित है. आर माधवन फ़िल्म के लेखक, सह-निर्माता, सह-निर्देशक और मुख्य अभिनय भूमिका में हैं। फ़िल्म का अंग्रेज़ी, हिन्दी और तमिल भाषाओं में एक साथ निर्माण हो रहा है जिसका सह-निर्देशन अनंत महादेवन कर रहे हैं। फ़िल्म का संगीत सैम सीएस दे रहे हैं। कहानी की शुरुआत तब से होती है जब नारायणन प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में स्नातक छात्र के रूप में अध्ययन कर रहे थे तथा वो वैज्ञानिक के रूप में भी स्थापित नहीं हुये थे और उनपर जासूसी के झूठे आरोप भी नहीं लगे थे।
फिल्म का प्रारम्भिक निर्माण वर्ष 2017 में आरम्भ हुआ। फ़िल्म का पहला विज्ञापन अक्टूबर 2018 में जारी किया गया और 2019 में गर्मियों के समय में फ़िल्म का जारी किया जाना प्रस्तावित था। 2022 में इस फ़िल्म को release किया गया।
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