उत्तर प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा लोगों ने वसूली के डर से राशन कार्ड वापस कर दिया
अब राज्य सरकार कह रही है कि ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया. आखिर कार्ड वापस करने की मुनादी किसके कहने पर हुई?
अलग अलग जिलों से राशन कार्ड सरेंडर करने और ना करने वालों से वसूली करने जैसी खबरें कई दिन तक अखबारों में छपती रहीं
लेकिन ना तो स्थानीय अधिकारियों ने और ना ही शासन की ओर से इस बारे में कोई स्पष्टीकरण दिया गया.
राज्य के खाद्य एवं रसद आयुक्त सौरव बाबू की ओर से एक बयान जारी किया गया कि ये सारी खबरें फर्जी और भ्रामक हैं
राशन कार्डों के लिए वही नियम लागू हैं जो 7 अक्टूबर 2014 को लागू थे यानी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून बनने के बाद.
ऐसे में सवाल उठता है कि जब सरकार की ओर से ऐसे निर्देश नहीं थे तो जिले के अधिकारियों की ओर से ये निर्देश कैसे जारी हुए
यदि यह योजना सरकार की नहीं है तो क्या उन अधिकारियों के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई होगी, जिन्होंने मनमाने तरीके से ये नियम निकाल दिए थे
पिछले दो साल में करीब तीस लाख नए राशन कार्ड जारी किए हैं. तो क्या राशन कार्ड जारी करते समय यह नहीं देखा गया कि कौन पात्र है और कौन अपात्र?
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