सुपरमाउंटेन(Supermountains) कही जाने वाली इस तरह की पर्वत शृंखला एक नहीं बल्कि दो बार धरती के जुड़े हुए महाद्वीपों पर रही है. पृथ्वी पर फिलहाल सबसे बड़ी पर्वत शृंखला हिमालय के पर्वतमाला है. लेकिन पृथ्वी के इतिहास में हिमालय से चार गुना बड़ी पर्वत श्रेणियां भी रही हैं. ये पर्वतमाला आज के भारत और कोलंबिया में अलग अलग समय के दौरान थी जिनके आगे हिमालय की ऊंचाई और लंबाई कुछ भी नहीं थी.
धरती पर जीवन के विकास में उसके भूभागों का बड़ा महत्व है. अलग अलग प्रकार के भूभागों में अलग तरह का जीवन दुनिया में जैविविधता के लिए जिम्मेदार है. पृथ्वी पर पहले बहुत ही विशाल पर्वतमालाएं रही हैं जो आज के हिमालय (Himalaya) से ऊंचाई और लंबाई में कहीं ज्यादा विशाल थी और उनकी वजह से पृथ्वी पर पृथ्वी और जीवन दोनों के विकास की प्रक्रियाओं का आकार मिला था. यह पर्वतमाला हजारों किलोमीटर की दूरी तक मिले हुए विशाल महाद्वीप में फैले थे जिन्हें सुपरमाउंटेन (supermountains) कहा जाता है. शोधकर्ताओं ने इनके निर्माण के बारे में पूरी जानकारी निकाली है.
Super Mountain के मिले संकेत
ये सुपरमाउंटेन पृथ्वी के समूचे इतिहास में एक बार नहीं बल्कि दो बार बने थे और आज के समय तक घिस कर गायब भी हो चुके हैं. लेकिन फिर भी इनके अस्तित्व के संकेत मौजूद है जिनसे यह पता चल सकता है कि कैसे इन पुरातन अतिविशाल पर्वतों के मरने से पृथ्वी और जीवन के विकास को एक अलग ही दिशा मिली थी.
विशाल पर्वत शृंखला
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (ANU) और क्वीन्सलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ने विशाल महाद्वीपों की प्लेटों के टकराने से बने दो विशालतम पर्वत शृंखलाओं की टाइमलाइन बनाई है. इनके दबाव से छूटे दुर्लभ खनिजों के अवशेषों का उपयोग करके ही वे ऐसा कर सके. इनमें से एक की जानकारी तो भूगर्भ शास्त्रियों को पहले से ही थी
ट्रांसगोंडवाना और नूना
आज से 65 से 50 करोड़ साल पहले 8000 किलोमीटर लंबी पर्वत श्रंखला मौजूद थी जिसे ट्रांसगोंडवाना कहा जाता है. इस पर्वतमाला की छाया विशाल दक्षिणी गोंडवाना महाद्वीप पर पड़ती थी. वही दूसरी पर्वत शृंखला को नूना सुपरमाउंटेन(supermountains) कहा जाता था. लेकिन यह गोंडवाना रेंज से 1 से 1.5 अरब साल पहले खोजी गयी जो पुराने सुपरकॉन्टिनेंट नूना में फैली थी.
जियी झू ने बताया कि
नूना पर्वत शृंखला आज के कोलंबिया के आसपास मौजूद जो पुरातन काल का बहुत विशाल क्षेत्र माना जाता है. एएनयू के भूवैज्ञानिक और इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका जियी झू ने बताया कि आज इस तरह के सुपरमाउंटेन दुनिया में कहीं नहीं हैं. उनकी ऊंचाई की ही बात नहीं है बल्कि आज के हिमलाय के ये तीन से चार गुना लंबे थे.
पर्वतमालाएं कभी मौजूद थी
यह मानना मुश्किल है कि हिमालय से भी बहुत बड़ी पर्वतमालाएं कभी मौजूद थी जो आज नहीं हैं यह सोचना और भी मुश्किल लगता है कि आने वाले समय में इससे भी विशाल पर्वतमाला महासागरों के अवसाद से निकल सकती है. फिर भी इनका जीवनकाल हम सोच सकते हैं उससे कहीं कम होता है.
कैंब्रियन प्रस्फोट
प्रकृति की तेज कारकों के कारण जैसे मानूसनी हवाएं और बर्फीली हवाओं के कारण ये सुपरमाउंटेन जितनी तेजी से उठे थे उतनी ही तेजी से गिर भी गए थे. गोंडवाना के सुपरमाउंटेन के अपरदन ने वैज्ञानकों यह जानने के लिए प्रेरित किया कि क्या खनिजों और दबी हुई ऑक्सीजन ने इनके क्षेत्रों में जैवविविधता का विस्फोट किया था जिसे कैंब्रियन प्रस्फोट कहते हैं. इस विषय पर अब भी बहस होती है
अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लैटर्स में प्रकाशित इस अध्ययन में इन महापर्वतमालाओं(Supermountains) के निर्माण की समयावधि की स्पष्ट जानकारी मिली है. एक के समय में जानवरों का विकास तेजी से हुआ और दूसरे में जटिल विशाल कोशिकाओं तेजी से पनपी. रोचक बात यह है कि 1.8 अरब साल पहले से लेकर 80 करोड़ साल के बीच में सुपरमाउंटेन नहीं बने थे और उसी दौरान जीवन का विकास भी धीमा हो गया था. लेकिन इसे प्रमाणित करने के लिए अभी बहुत काम करना होगा.
अब सुपरमाउंटेन्स नहीं पाए जाते
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र ज़िया झू पेपर के प्रमुख लेखक हैं. वे कहते हैं, “आज इन दो सुपरमाउंटेन जैसा कुछ नहीं है. पहले सुपरमाउंट को नूना सुपरमाउंट कहा जा रहा है, जो यूकेरियोट्स, के साथ मेल खाता है. ये वही तत्व है जिसने बाद में पौधों और जानवरों को जन्म दिया. दूसरा, ट्रांसगोंडवान सुपरमाउंट है, जो पृथ्वी पर जानवरों की उपस्थिति और 4.5 करोड़ साल बाद कैम्ब्रियन विस्फोट के साथ मेल खाता है.
सुपरमाउंटेन का पता कैसे लगाया गया
जर्नल अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने लो ल्यूटेटियम कंटेंट के साथ जिक्रोन के ट्रेसेस का इस्तेमाल किया. ये एक तरह का खनिज और पृथ्वी पर मिलने वाले दुर्लभ तत्वों का मिश्रण होता है जो केवल ऊंचे पहाड़ों की जड़ों में पाया जाता है. ये अध्ययन इनकी संरचना की पहचान करने के लिए किया गया. हालांकि, इन दो घटनाओं के बीच किसी भी स्तर पर दूसरे सुपरमाउंट के बनने का कोई सबूत नहीं है.
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