Tax Calculator : सरकार ने आम लोगों को उनकी इच्छा और सुविधा के हिसाब से निवेश करने की आजादी दी है। निवेश अब टैक्स बचाने की मजबूरी नहीं रहेगी। इससे सरकारी खजाने पर 40 हजार करोड़ रुपये का बोझ जरूर पड़ेगा लेकिन टैक्स संग्रह ज्यादा प्रभावी होने से उसकी भरपाई करने की कोशिश भी होती रहेगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष नितिन गुप्ता ने हिन्दुस्तान के साथ खास बातचीत में यह कहा है कि आयकर पोर्टल पर ही ऐसे कैल्कुलेटर की व्यवस्था की जाएगी जिससे करदाता खुद ही आंकलन कर लेगा कि उसके लिए नई स्कीम बेहतर है या फिर पुरानी।
इस स्कीम की जरूरत पर सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि सरकार की मंशा लोगों को निवेश की आजादी देने की थी। वह यह नहीं चाहती कि टैक्स बचाने के लिए मजबूरी में निवेश किया जाए। कंपनियों में टैक्स के मामले में हमने यह प्रयोग किया था और वहां सकारात्मक कमाई वाली 60 फीसदी आय नई स्कीम की तरफ आई है।
टैक्स कैल्कुलेटर से आपका काम आसान हो जायेगा
सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि नई व्यवस्था में लोगों को कुछ जोड़ घटाव करने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि इसमें पुराने के मुकाबले छूट खत्म कर दी गई है। फिर भी इस प्रस्तावित स्कीम को लेकर हम आयकर पोर्टल पर एक कैल्कुलेटर(Tax Calculator) भी लेकर आएंगे जो पुरानी और नई स्कीम के अंतर को व्यक्तिगत आधार पर बता सके। इसके बाद लोग अपने हिसाब से फायदा नुकसान का अंदाजा लगाते हुए स्कीम चुन सकेंगे।
अब नई पुरानी-स्कीम में जाने का विकल्प
एक बार नई स्कीम में आ जाने के बाद करदाता कभी भी पुरानी स्कीम में जा सकते हैं या नहीं के सवाल पर सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि करदाता अपनी हर साल के हिसाब से टैक्स की दोनों व्यवस्थाओं में से किसी को भी चुन सकते हैं। कारोबारियों के लिए विकल्प केवल एक ही बार है लेकिन नौकरीपेशा के लिए विकल्प चुनने की कोई सीमा नहीं है।
सिर्फ दो दिन में आ जाएगा रिफंड
करदाताओं को नई सुविधाओं के सवाल पर गुप्ता ने कहा कि करदाता के रिटर्न प्रोसेसिंग समय घटकर 16 दिन पर आ गया है। विभाग नए टैक्स इनफॉर्मेशन नेटवर्क पर काम कर रहा है। इससे रिफंड जल्दी खाते में पहुंचेगा। 31 मार्च 2023 तक इसमें सभी बैंक आ जाएंगे। इससे विभाग की तरफ से रिफंड जारी होने के बाद पहले के पाच-सात दिन के मुकाबले अब एक-दो दिन ही लगेंगे।
टैक्स कम रखने से टैक्स वसूली में बढ़ोतरी
नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने के लिए टैक्स(Tax Calculator) कम रखा गया है। इससे जो घाटा होगा उसकी भरपाई के लिए भी सरकार की तैयारी स्पष्ट है। सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि सरकार टैक्स व्यवस्था को आसान बना रही है। इससे आने वाले दिनों में टैक्स देने वाले लोगों का दायरा बढ़ेगा। साथ ही प्रभावी उपायों से टैक्स चोरी रुकी है आने वाले दिनों में इसे और बेहतर किया जाएगा। इससे ज्यादा टैक्स इकट्ठा होगा। चालू वित्त वर्ष के लिए 16.5 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह का संशोधित लक्ष्य है। वहीं अगले वित्त वर्ष के लिए यह लक्ष्य 18.23 लाख करोड़ रुपये है।
अपडेटेड रिटर्न स्कीम
टैक्स रिटर्न की जो भी स्क्रिुटनी हुई है उसके आंकड़ों में काफी सकारात्मक बात निकलकर सामने आई है। सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि हमने अपडेटेड रिटर्न की स्कीम शुरू की है। जिसमें करदाता के रिटर्न के बाद हम उसे बताते हैं कि कहीं उसमें कोई गड़बड़ तो नहीं रह गई है। करदाता की गलती बताने के बाद इस स्कीम में करीब 10 लाख लोगों ने पेनाल्टी के साथ अपडेटेड रिटर्न दाखिल किए हैं। इसकी वजह से टैक्स विभाग के कानूनी मामले घटेंगे।
गुप्ता ने कहा कि टैक्स(Tax Calculator) विभाग करदाता की दी गई जानकारी पर पूरा भरोसा करती है। हम एक फीसदी से भी कम मामलों की स्क्रुटनी करते हैं। टैक्स चोरी से जुड़े मामलों में ज्यादातर गलत छूट क्लेम करना, गलत खर्च दिखाना और गलत स्कीम का फायदा लेने जैसे मामले आते हैं। हालांकि, हम पहले के मुकाबले जीएसटी और दूसरे तमाम विभागों से आंकड़े साझा करते हैं। इससे चोरी पकड़े जाने की गुंजाइश काफी बढ़ गई है।
New टैक्स Slab vs Old
new tax regime calculator : जब बजट की बात आती है, तो वेतनभोगी वर्ग केवल आयकर छूट की उम्मीद करता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2023 को बजट 2023 पेश करते हुए मध्यम वर्ग को कुछ राहत देने के लिए स्लैब में बदलाव किया है. सीतारमण ने कहा, “नई व्यवस्था के तहत छूट बढ़ाने का प्रस्ताव किया है, इसके तहत अगर किसी की आय 7 लाख रुपये तक है तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा.”
यहां आपको नई टैक्स स्लैब (new tax regime calculator)और पुराने टैक्स स्लेब में अंतर बता रहे हैं, जिससे आप पता लग सकते हैं कि अब कितनी आय पर कितना टैक्स देना होगा.
पुराना टैक्स स्लैब | नया टैक्स स्लैब(new tax regime calculator) |
पुरानी कर व्यवस्था के तहत 2.5 रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना होता था. | 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा. |
पहले 2.5 लाख से ₹5 लाख तक की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स देना होता था. | 3-6 लाख रुपये के बीच की आय पर 5 प्रतिशत कर लगेगा. |
5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता था. | 6-9 लाख रुपये की आय पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा. |
₹7.5 लाख से ₹10 लाख तक की आय पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता था. | 9-12 लाख रुपये के बीच की आय पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा |
10 लाख रुपये से अधिक की व्यक्तिगत आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता था. | 12-15 लाख रुपये के बीच आय पर 20 फीसदी टैक्स लगेगा. |
15 लाख रुपये और उससे अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा. |
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