जेम्स वेब टेलिस्कोप अंतरिक्ष में उस जगह पहुंच गया है जहां से वह ब्रह्मांड के प्रारंभिक दिनों में आकाशगंगाओं के शुरुआती स्वरूप को देखने की कोशिश करेगा.
दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे ताकतवर अंतरिक्ष टेलिस्कोप ‘जेम्स वेब’ अपनी मंजिल पर पहुंच गया है. धरती से करीब 10 लाख मील दूर सौर कक्षा में यह जगह वेब स्पेस टेलिस्कोप की पार्किंग की जगह है. यहीं से वह ब्रह्मांड के प्रारंभिक दिनों में आकाशगंगाओं के शुरुआती स्वरूप को देखने की कोशिश करेगा.
NASA का टेलिस्कोप कहा तक पंहुचा –
जेम्स वेब टेलिस्कोप गुरुत्वाकर्षण संतुलन (Gravitational Equilibrium) में जिस स्थान पर पहुंचा है, उसे ‘2nd सन-अर्थ लगरानियन पॉइंट’ (L2) के नाम से जाना जाता है. इस पॉइंट की खोज 18वीं सदी के गणितज्ञ जोसेफ लूइस लगरांज ने की थी. लगरानियन पॉइंट, अंतरिक्ष की वे जगहें हैं, जहां भेजी गई चीजें स्थिर रहती हैं.
इन बिंदुओं पर दो बड़े पिंडों का गुरुत्वाकर्षण बल ठीक उस अभिकेंद्रीय बल के बराबर होता है, जिसकी किसी पदार्थ को उन पिंडों के साथ बढ़ने के लिए जरूरत होती है. इस संतुलन के चलते वहां भेजी गई चीजें स्थिर रहती हैं. इन बिंदुओं का इस्तेमाल कर दूरबीन अपनी ईंधन की खपत को घटाकर अपनी जगह पर बने रह सकती है.
L2 लोकेशन का फायदा
अब अपनी जगह से वेब टेलिस्कोप एक खास रास्ते का अनुसरण करेगा. यह रास्ता टेलिस्कोप का धरती के साथ लगातार अलाइनमेंट बनाए रखेगा, लेकिन साथ ही इसे धरती की छाया से भी बचाकर रखेगा. इसके चलते वेब टेलिस्कोप को निर्बाध रेडियो संपर्क मिल सकेगा. साथ ही, उसे लगातार सूरज की रोशनी भी मिलती रहेगी.
वेब टेलिस्कोप की तुलना में इसका 30 साल पुराना पूर्ववर्ती ‘हबल स्पेस टेलिस्कोप’ करीब 547 किलोमीटर की दूरी से पृथ्वी की परिक्रमा करता है. हर 90 मिनट में वह धरती की छाया से गुजरता है. वेब टेलिस्कोप अपने रास्ते पर बना रहे, इसके लिए ग्राउंड टीम को हर तीन हफ्ते बाद एक बार इसमें लगे रॉकेट के ‘कोर्स करेक्टिंग थ्रस्ट’ को दागना पड़ेगा.
आकाशगंगाओं की शुरुआत देख सकेंगे
वेब टेलिस्कोप अपने आकार और डिजाइन के चलते गैसों और धूल गुबार के पार बहुत दूरी तक चीजें देख सकता है. इसके चलते वह हबल या किसी भी अन्य टेलिस्कोप के मुकाबले समय में और ज्यादा पीछे देख सकता है. इसी के चलते खगोलशास्त्रियों को वेब टेलिस्कोप से बहुत उम्मीदें हैं.
यह हमें बिग बैंग के 10 करोड़ साल बाद के समय में आकाशगंगाओं के शुरुआती स्वरूप दिखा सकता है. माना जाता है कि बिग बैंग वह बिंदु है, जहां से हमारे ज्ञात ब्रह्मांड के विस्तार की प्रक्रिया शुरू हुई.
कब शुरू करेगा काम?
इतना ही नहीं, वेब टेलिस्कोप की क्षमता इसे दूसरे ग्रहों में संभावित जीवन तलाशने के लिए भी आदर्श उपकरण बनाती है. हालांकि वेब टेलिस्कोप को इसकी खगोलीय निरीक्षण की भूमिकाओं के लिए तैयार करने में अभी समय लगेगा. इसके मुख्य दर्पण के 18 हिस्सों को अभी सटीकता से पंक्तिबद्ध किया जाना है.
ग्राउंड टीम को अभी टेलिस्कोप के कई उपकरण भी सक्रिय करने हैं. अगर सब ठीक रहा, तो वेब टेलिस्कोप इस साल की गर्मियां आते-आते निरीक्षण का काम शुरू कर देगा. उम्मीद है कि जून 2022 में नासा इसके द्वारा की गई शुरुआती निगरानियों की जानकारी सार्वजनिक करे.
यह टेलिस्कोप अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अलग-अलग अंतरिक्ष एजेंसियों के सम्मिलित काम का नतीजा है. नासा ने यूरोपीय और कनाडा की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर इसका नेतृत्व किया है.
जेम्स वेब टेलिस्कोप की खासियत –
हब्बल से 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली ये टेलीस्कोप ब्रह्मांड के उन रहस्यमयी पहलुओं को हमारे सामने लेकर आएगा, जिन्हें हमने अब तक जाना नहीं है। James Webb Space Telescope अंतरिक्ष की सुदूर गहराइयों को देखने में सक्षम होगा। इसके अलावा ये उन अकाशगंगाओं के बारे में पता लगाएगा, जिनका फॉर्मेंशन बिग बैंग के बाद हुआ था। आप इस टेलीस्कोप की काबिलियत का पता इस बात से लगा सकते हैं कि अगर इसको चांद पर रख दिया जाए, तो ये पृथ्वी पर उड़ रही एक मक्खी को भी आसानी से डिटेक्ट कर सकेगा।
टेलिस्कोप की लागत –
इसे बनाने में करीब 9.7 बिलियंस डॉलर का खर्चा आया है। ये टेलीस्कोप बिग बैंग के बाद बनी शुरुआती गैलेक्सीज के बारे में बारीकी से अध्ययन करेगा। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप आने वाले समय में अंतरिक्ष से जुड़े रिसर्च के कई नए आयाम खोलने वाला है।
यह डार्क एनर्जी, गैलेक्सी फॉर्मेशन, तारों का जीवन चक्र आदि कई जटिल विषयों के बारे में बारीक जानकारी इकट्ठा करेगा। इस विशालकाय टेलीस्कोप में कई तरह के विशेष उपकरणों को लगाया गया है।
ये लंबी दूरी से सफर करके आ रही इंफ्रारेड तरंगों को पकड़ने में भी काबिल होगा। ये लाइट को ऑब्जर्व करके करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर स्थित प्लेनेट के बारे में काफी कुछ पता लगा सकेगा। ऐसे में एग्जोप्लेनेट की खोज करने में जेम्स वेब एक मील का पत्थर साबित होने वाला है।
ये टेलीस्कोप धूल के बादलों के पीछे छुपे तारों को देखने में भी सक्षम होगा। जेम्स वेब ब्रह्मांड में 13.7 बिलियन प्रकाश वर्ष पुरानी लाइटों को देख सकेगा। इस कारण कई वैज्ञानिक इसको ब्रह्मांड की टाइम मशीन भी कर रहे हैं।
सोने का उपयोग किया गया है James Webb Space Telescope में-
James Webb स्पेस टेलीस्कोप के ऑप्टिक्स पर करीब 25 लाख रुपये के सोने की परत को चढ़ाया गया है। इसके ऑप्टिक्स को 48 ग्राम सोने से कोट किया गया है। इस कारण ये दुनिया का पहला ऐसा स्पेस टेलिस्कोप है, जिसको बनाने में सोने का उपयोग किया गया है।आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि आखिर इसमें सोने का उपयोग क्यों किया गया है? आइए जानते हैं इसके बारे में
सोना एक गैर प्रतिक्रिया करने वाला धातु है। ऐसे में अंतरिक्ष में लॉन्च होने के बाद कोई दूसरा पदार्थ इसके ऑप्टिक्स को रियेक्ट करके जल्द खराब नहीं कर सकेगा। इस कारण टेलीस्कोप के ऑप्टिक्स लंबे समय तक टिकाऊ रहेंगे। सोने की परत टेलीस्कोप पर पड़ने वाली वाली इंफ्रारेड लाइट में से 99 प्रतिशत प्रकाश को रिफ्लेक्ट कर देगी। ऐसे में टेलीस्कोप ठंडा रहेगा। इन्हीं चीजों को ध्यान में रखकर टेलीस्कोप के ऊपर सोने का इस्तेमाल किया गया है।
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