रेल मंत्रालय(Ministry of Railway) / Indian Railway ने रेलवे की छह में से पांच इकाइयों को बंद करने का फैसला किया है रेलवे(Railway Army) प्रादेशिक सेना(Territorial Army) जिसे 1949 में एक सहायक बल के तहत खड़ा किया गया था प्रादेशिक सेना अधिनियम1948 रक्षा की दूसरी पंक्ति के रूप में जो देश में सक्रिय शत्रुता और आवश्यक रेल परिवहन के दौरान “एक गंभीर राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में” आगे के क्षेत्रों में रेल संचार बनाए रखने के लिए अनिवार्य है.
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रेल मंत्रालय ने घोषणा की है कि रेलवे इंजीनियर्स रेजिमेंट्स(engineer regiments) की छह इकाइयों में से पांच को भंग कर दिया जाएगा. इस सेवा को रेलवेज टेरीटोरियल(Territorial Army/TA) सेना के भी नाम से भी जाना जाता है. मंत्रालय का कहना है कि समीक्षा के बाद पाया गया है कि इन इकाइयों की अब आवश्यकता नहीं है.
सिर्फ एक यूनिट को बरकरार रखने के आदेश जारी किए गए हैं. संभव है कि आने वाले दिनों में भी इसे भी भंग कर भारतीय रेल(Indian Railway) की अपनी सेना(Railway Army) को पूरी तरह से ही भंग कर दिया जाए.
रेलवे की सेना के बारे में
रेलवे इंजीनियर्स रेजिमेंट्स टेरीटोरियल आर्मी(Railway Army) का एक अंग है जो भारतीय सेना की एक वॉलंटियर(volunteers) रिजर्व फोर्स है. टेरीटोरियल आर्मी में पूर्णकालिक सैनिक नहीं होते है बल्कि इसमें ऐसे लोग वॉलंटरी आधार पर शामिल होते हैं जो पहले से ही किसी ना किसी पेशे से जुड़े होते हैं.
अमूमन ऐसे लोग टेरीटोरियल आर्मी में शामिल हो कर हर साल दो से तीन महीने अपनी सेवाएं देते हैं ताकि युद्ध या किसी राष्ट्रीय आपदा(National calamity) के समय वो भारतीय सेना की मदद कर सकें. टेरीटोरियल आर्मी(Territorial Army/TA) के दो तरह के यूनिट होते हैं – विभागीय और गैर विभागीय. रेलवे इंजीनियर्स रेजिमेंट्स टेरीटोरियल आर्मी के छह विभागीय यूनिटों की एक सेवा है.
रेलवे के लिए बनी इस विशेष फोर्स का गठन 1949 में हुआ था. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि विशेष रूप से युद्ध के समय रेल सेवाएं निर्बाध और और सुचारू रूप से चलती रहें. इस समय कोटा, चंडीगढ़, हैदराबाद, जमालपुर, झांसी और अद्रा में इस फोर्स के छह रेजिमेंट हैं.
सेना को क्यों भंग किया जा रहा है
हर रेजिमेंट में 23 अफसर, 46 जेसीओ और 1,081 दूसरे पदों के कर्मी होते हैं. सभी रेजीमेंटों के कर्मियों के वेतन और हर तरह के खर्च को रेल मंत्रालय ही उठाता है. 2019-20 में इन रेजीमेंटों के वेतन, सामान, हथियार और गोला बारूद, प्रशिक्षण आदि जैसे मद मिला कर कुल 14.28 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.
रेल मंत्रालय ने 2019-20 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में लिखा था कि रेलवे इंजीनियर्स रेजिमेंट्स की यह प्रणाली सुचारु रूप से चल रही है. लेकिन अब मंत्रालय ने कहा है कि ताजा समीक्षा में पाया गया है कि इन रेजिमेंटों की अब आवश्यकता नहीं है और अब इन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए.
फिलहाल सिर्फ जमालपुर वाले रेजिमेंट को छोड़ कर बाकी पांच को भंग कर दिया जाएगा. जमालपुर रेजिमेंट की उपयोगिता की भविष्य में फिर से समीक्षा की जाएगी
भारतीय रेलवे के बारे में
भारतीय रेलवे(Indian Railway) को दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक माना जाता है। भारतीय ट्रेन यहां के लोगों के जीवन का अहम हिस्सा है। करीब 2.50 करोड़ लोग प्रतिदिन भारतीय रेलवे का इस्तेमाल करते हैं, वहीं यह 33 लाख टन माल ढोती है। भारतीय रेलवे केंद्र सरकार के स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। रेलवे की स्थापना 8 मई, 1845 को हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। 177 वर्ष पुराना भारतीय रेलवे(Indian Railway) आज भी सबसे सस्ता और पसंदीदा परिवहन का जरिया है।
भारत की पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे थी, जो 1837 में रेड हिल्स से चिंताद्रिपेट पुल तक 25 किलोमीटर चली थी। सर आर्थर कॉटन को ट्रेन के निर्माण का श्रेय दिया गया था, जिसका उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट के परिवहन के लिए किया जाता था। वहीं पब्लिक परिवहन के लिए भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को बोरी बंदर (मुंबई) और ठाणे के बीच 34 किमी की दूरी पर चली थी। ट्रेन में 400 यात्री सवार थे। दिलचस्प बात यह है कि इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया था।
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