Chaitra Navratri 2022 नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों का पूजन करने का विधान है. वहीं नवरात्रि में यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तो विशेष फल मिलता है. दुर्गा सप्तशती पाठ विधि-विधान और नियम के साथ किया जाना आवश्यक है.
चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ कल 02 अप्रैल दिन शनिवार से हो रहा है. इस बार चैत्र नवरात्रि शनिवार से शुरु हो रही है और 11 अप्रैल को दिन सोमवार को इसका समापन होगा. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करते हैं और मां दुर्गा का आह्वान करते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों का व्रत रखा जाता है. पारण के साथ इसका समापन करते हैं. हालांकि जो लोग पूरे 9 दिन व्रत नहीं रहते हैं, वे प्रथम दिन और दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखते हैं
चैत्र नवरात्रि कलश पूजा स्थापना मुहूर्त 2022
02 अप्रैल को प्रात: 06:10 बजे से प्रात: 08:31 बजे तक,
फिर दोपहर में 12:00 बजे से 12:50 बजे तक.
दुर्गा सप्तशती
दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय होते हैं. इन 13 अध्याय को नवरात्रि के दौरान काफी नियम से पढ़ा जाता है. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से कई परेशानियों का अंत होता है. गृह कलेश या धन संबंधित परेशानियां भी दूर होती हैं. लेकिन आपको बता दें कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के कुछ नियम भी होते हैं जिनके बारे में पता होना बेहद जरूरी होता है
दुर्गा सप्तशती पूजा के नियम (Rules of Durga Saptashati)-
पहला नियम- दुर्गा सप्तशती पुस्तक को कभी भी हाथ में लेकर पाठ ना करें. शास्त्रों में पुस्तक को कभी भी हाथ में लेकर पाठ नहीं करना चाहिए. पुस्तक को या तो व्यासपीठ में रखकर पाठ करें या फिर लाल रंग के कपड़े के ऊपर रखकर पाठ करें.
दूसरा नियम- दुर्गासप्तशती का पाठ करते समय आपको विराम नहीं लेना चाहिए. जब भी आप दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करें तो बीच में रुकना नहीं चाहिए. आप एक अध्याय समाप्त होने के बाद 10 से 15 सेकेंड का विराम ले सकते हैं.
तीसरा नियम- Durga Saptashati का पाठ करते समय इस बाद का ख्याल रखें कि आपकी गति ना तो बहुत ज्यादा तेज होनी चाहिए और ना ही बहुत ज्यादा धीरे. मध्यम गति में आपको दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. पाठ करते समय शब्द बिल्कुल स्पष्ठ सुनाई दे.
चौथा नियम- दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले आसान में बैठते समय सबसे पहले खुद की शुद्धि करें, उसके बाद ही सप्तशती का पाठ शुरू करें.
पांचवा नियम- दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को नमन और ध्यान करें.इसके बाद पुस्तक को प्रणाम करें और पाठ शुरू करें.
छठा नियम- यदि एक दिन में पूरा पाठ न किया जा सके, तो पहले दिन केवल मध्यम चरित्र का पाठ करें और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करें. या फिर दूसरा विकल्प यह है कि एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा करें.
- इस बार की चैत्र नवरात्रि पूरे 09 दिनों की है. 09 दिनों की चैत्र नवरात्रि को शुभ माना जाता है.
- इस साल चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ शनिवार से हो रहा है, इसलिए माता रानी का आगमन घोड़े की सवारी पर होगा. यह सत्ता पक्ष को सावधान रहने का संकेत देता है.
- चैत्र Navratri का समापन सोमवार को होगा, इसलिए मां दुर्गा भैंसे की सवारी पर पृथ्वी लोक से विदा होंगी. यह सवारी लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने का संकेत देता है.
- Chaitra माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि या नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बने हुए हैं. ये सुबह 06:10 बजे तक रहेंगे.
- चैत्रनवरात्रि के पहले दिन का शुभ समय दोपहर 12:00 से 12:50 बजे तक है. यह उस दिन का अभिजीत मुहूर्त है.
- नवरात्रि के प्रथम दिन से ही हिंदू नववर्ष या कहें नए विक्रम संवत का प्रारंभ होता है. इस बार विक्रम संवत 2079 का प्रारंभ होगा.
- 30 साल बाद ऐसा मौका आया है कि शनिवार को चैत्र Navratri का प्रारंभ हो रहा है और हिंदू नववर्ष शुरु हो रहा है.
- शैलपुत्री मंत्र- ऊं शैलपुत्र्यै नम:।
- ब्रह्मचारिणी मंत्र – ऊँ ब्रह्मचारिण्यै नम:
- चंद्रघंटा मंत्र- पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्यु .प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
- कूष्मांडा मंत्र- ऊं कूष्माण्डायै नम
- स्कंदमाता मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- कात्यायनी मंत्र – या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
- कालरात्रि मंत्र – ॐ कालरात्र्यै नम:
- महागौरी मंत्र – श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
- सिद्धिदात्री मंत्र– ऊं सिद्धिदात्र्यै नम:।
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