वसंत पंचमी को भारत के प्रमुख त्योहारों की तरह ही मनाया जाता है। यह एक हिन्दू का पर्व है इस दिन विद्या की देवी सरस्वती माँ की पूजा की जाती है। यह पर्व भारत के अलावा इसके आस – पास के देशो में भी मनाया जाता है।
वसंत पंचमी 2022 Date:
इस साल वसंत पंचमी शनिवार, 05 फरवरी ,2022 को है । Vasant Panchami को श्रीपंचमी भी कहा जाता है।
वसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है
Vasant Panchami , हर साल हिन्दू पचांग के अनुसार माघ महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इसे माघ पंचमी भी कहते है वसंत ऋतू में पेड़ो पर नई – नई पत्त्तिया निकलना शुरू हो जाती है कई प्रकार के मनमोहक फूलो से पृथ्वी प्राकृतिक रूप से सज जाती है। खेतो में हर तरफ सरसों के पीले फुल और हरियाली दिखाई देती है।
एक वर्ष को 6 ऋतुओ में बाटा गया है जो वसंत ऋतू , ग्रीष्म ऋतू , वर्षा ऋतू , शरद ऋतू , हेमंत ऋतू और शिशिर ऋतू है। इन सभी ऋतुओ में से वसंत ऋतू को सभी ऋतुओ का राजा माना जाता है
वसंत पंचमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है इस दिन सरस्वती माता की पूजा की जाती है। उनसे विद्या ,कला , बुद्धि , एवं ज्ञान का वरदान मांगा जाता है। माँ सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है।
बसंत पंचमी के नियम
- Vasant Panchami के दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि जब सरस्वती अवतरित हुई थीं उस वक्त ब्रह्मांड में लाल, पीली और नीली आभा हुई थी। सबसे पहले पीली आभा दिखी थी। इसलिए मां सरस्वती का प्रिय रंग पीला है। लेकिन इस दिन भूलकर भी काले, लाल या फिर रंग-बिरंगे के वस्त्र न पहनें।
- बसंत पंचमी के दिन मांस-मंदिरा से दूरी बनाकर रखें। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती हैं। इसलिए किसी को भी अपशब्द न कहें और न ही किसी का अपमान करें। इसलिए मन में जरा सा भी बुरे विचार न लाए।
- शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। इसलिए इस दिन स्नान करके मां सरस्वती की पूजा करके ही कुछ ग्रहण करें।
- बसंत पंचमी के दिन से बसंत ऋतु भी शुरू हो जाती हैं। इसलिए इस दिन पेड़-पौधों की कटाई-छटाई भी नहीं करनी चाहिए।
बसंत पंचमी का इतिहास
पौराणिक मान्यताओ के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने सभी जीवो और मनुष्यों की रचना की है। जब संसार की तरफ ब्रह्मा जी देखते है तो उस समय ब्रह्मा जी को चारो तरफ सुनसान और शांत माहोल नजर आता है जैसे इस वातावरण में कुछ भी न हो। इस लिए उन्हें यह कमी महसूस होती है। तब ब्रह्मा जी भगवान विष्णु जी से आज्ञा लेकर कमंडल का जल पृथ्वी पर छिड़कते है। पृथ्वी पर जल गिरता है तो पृथ्वी कम्पन करने लगती है और एक अद्भुद शक्ति के रूप में चार भुजाओ वाली देवी प्रगट होती है।
उस देवी के एक हाथ में वीणा , दुसरे हाथ में वर मुद्रा और अन्य दोनों हाथ में पुस्तक और माला होती है। ब्रह्मा जी उस देवी से वीणा बजाने का अनुरोध करते है देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव -जन्तुओ को वाणी प्राप्त हो जाती है। उस पल के बाद देवी को “सरस्वती “ कहा गया है। सरस्वती देवी ने वाणी के साथ – साथ विद्या और बुद्धि भी दी । इस लिए वसंत पंचमी के दिन सरस्वती देवी की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पुजा भी है।
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