रंगों के त्योहार के लिए होली मशहूर है जिसे फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. संगीत और ढोल के साथ एक दुसरे पर रंग और पानी फेका जाता है. भारत में अन्य त्योहारों की तरह Holi भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार होली हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रहलाद की कहानी है. आईये जानते है होली कब है, होली मनाने का कारण, होली 2023, होली का रंग कैसे छुड़ाए, होली images, होली की कहानी, और होली के त्यौहार के बारे में.
होली कब है 2024 (When is holi in 2024)
24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है. ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा.
होलिका के अगले दिन होली मनाई जाती है, इसलिए इस साल 25 मार्च को होली है। इस दिन देशभर में धूमधाम से होली मनाई जाएगी.
वर्ष | तिथि |
होली (Holi) 2020 | 10 मार्च 2020 |
होली (Holi) 2021 | 29 मार्च 2021 |
होली (Holi) 2022 | 18 मार्च 2022 |
होली (Holi) 2023 | 8 मार्च 2023 |
होली (Holi) 2024 | 25 मार्च 2024 |
होली (Holi) 2025 | 14 मार्च 2025 |
होली की शुभकामनाएं(Happy holi wishes & Happy holi images)
रंगों की वर्षा, गुलाल की फुहार
सूरज की किरणें, खुशियों की बौछार
चन्दन की खुशबु, अपनों का प्यार
मुबारक हो आपको होली का त्यौहार !
होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
प्यार के रंग से भरो पिचकारी
स्नेह के रंग से रंग दो दुनिया सारी
ये रंग न जाने न कोई जात न बोली
सबको हो मुबारक हैप्पी होली!
होली की शुभकामनाएं
मंगल पर मिला पानी के झील का सबूत
मक्के की रोटी नींबू का अचार
सूरज की किरणें खुशियों की बहार
चाँद की चाँदनी अपनों का प्यार
मुबारक हो आपको होली का त्योहार
होली मनाने का इतिहास (History of Holi Celebration)
हिरण्यकश्यप प्राचीन समय में एक राजा था. जिसकी भावना राक्षस की तरह थी. वह अपने छोटे भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेना चाहता था . जिसको भगवान विष्णु ने मारा था . इस लिए वह अपने आपको शक्तिशाली बनाने के लिए सालो तक तपश्या की . आखिरकार उसे वरदान मिला. अपने बल के अहंकार पर वह स्वयं को ईश्वर मानने लगा था. उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर पाबंधी लगा दी थी . और लोगो से खुद को भगवान की तरह पूजा करने के लिए कहने लगा. इसका एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था. प्रहलाद भगवान विष्णु की पूजा करता था. प्रहलाद की ईश्वर भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे कठोर दण्ड दिए , परन्तु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा.
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को एक वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती. हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया की प्रहलाद को अपनी गोंद में लेकर आग की चिता पर बैठे. आग में बैठने पर होलिका तो जल गई पर पहलाद को विष्णु भगवान ने बचा लिया. होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है. इस लिए होली के एक दिन पहले बुराई के अंत के रूप में होलिका जलाई जाती है , जिसे होलिका दहन भी कहते है. इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंग का रूप लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया. इस लिए होली का त्योहार होलिका से जुड़ा है.
गुलाल और रंग(gulal and colour)
Holi के दिन लोग एक दूसरे से मिलने जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है। इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगा लेते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, स्त्री-पुरुष, बालक-वृद्ध के बीच की सभी दीवारें टूट जाती है मनुष्य केवल मनुष्य रह जाता है। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं। होली मनाए जाने की पीछे का भाव यह है कि लोग एक-दूसरे से शत्रुता को भूल जाए। और फिर से रिश्तों की शुरुआत करें होली का त्योहार आपसी मतभेद और बैर को दूर करने का त्योहार है। Holi kyu manate hai ये जान्ने के साथ साथ देश विदेश सभी जगह होली का क्या प्रभाव है
होली मनाने का कारण (Reason to celebrate holi)
यह कहानी भगवान कृष्ण से जुड़ी है जो विष्णु के अवतार है. माना जाता है की भगवान श्री कृष्ण को रंगों से Holi मनाना बहुत पसंद था. और रंगों से होली मनाते थे. इसलिए होली का त्योहार रंगों के रूप में मशहूर हुआ.वे वृन्दावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मनाते थे. वे पुरे गावं में बच्चो जैसी शैतानिया करते थे. आज भी वृंदावन में मस्ती भरी Holi मनाई जाती है.
होली वसंत का त्योहार है इसके आने पर सर्दिया ख़त्म हो जाती है. कुछ हिस्सों में इस त्योहार का सम्बन्ध वसंत की फसल पकने से भी है . किसान अच्छी फसल होने की ख़ुशी में होली मनाते है. Holi को ‘वसंत महोत्सव’ और ‘काम महोत्सव ‘ के रूप में भी जाना जाता है.
होली कब से मनाया जाता है (Since when is holi celebrated)
यह प्राचीन हिन्दू त्योहारों में से एक है और ईसा मसीह के जन्म से कई सदियों पहले से मनाया जा रहा है. Holi का उल्लेख प्राचीन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है. जैसे की जर्मनी का पुरवामीमांसा-सूत्र और कथक-ग्राम-सूत्र. प्राचीन भारत के मंदिरों पर होली की मुर्तिया बनी है ऐसा ही 16वीं सदी का एक मंदिर हंपी में है जो विजयनगर की राजधानी है.
Holi का रंग कैसे बनता है (How to make holi colours)
पहले Holi के रंग को टेसू या पलास के फूलो से बनाया जाता था, जो प्राकृतिक रंग होता था. और उन्हें गुलाल कहते थे. वे रंग त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते थे क्योकि उनमे किसी रसायन का उपयोग नहीं किया जाता था. लेकिन समय के साथ रंगों की भी परिभाषा बदलती गई. आज के समय तो रंगों के नाम पर नुकसानदेह रसायन का प्रयोग किया जाता है जिसके चलते कई लोगों ने Holi खेलना छोड़ दिया. हमें इस त्योहार में रासायनिक रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
होली कैसे मनाई जाती है(How is holi celebrated)
Holi केवल एक दिन का त्योहार नहीं है कई राज्यों में इसे तीन दिन तक मनाया जाता है. होली हम कैसे मनाते हैं? पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं. दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।
पहला दिन – पूर्णिमा के दिन थाली में रंगों को सजाया जाता है परिवार के बड़े सदस्य बाकि सदस्यों को रंग लगाते है.
दूसरा दिन – इस दिन होलिका की प्रतिमाए जलाई जाती है जिसे होलिका दहन भी कहते है. होलिका और प्रहलाद की याद में होली जलाई जाती है. इस आग्नि के पाच चक्कर लगाकर अग्नि देवता से आशीर्वाद लिया जाता है. होली के इस दिन को ‘पूनो’ के नाम से भी जानते है.
तीसरा दिन – यह होली का अंतिम दिन होता है इस दिन को ‘पर्व’ कहते है. इस दिन एक दुसरे पर रंग और पानी डाला जाता है. कृष्ण और राधा की मुर्तियो पर रंग डालकर उनकी पूजा की जाती है.
होली का रंग कैसे छुड़ाए(How to get rid of holi color on face)
Holi एक ऐसा त्यौहार हो जिसके रंगों में सब रंग जाते है. लेकिन कब रंग छुड़ाने की बात आती है तो सब परेशान हो जाते है. आईये हम आज आपको बताते है होली के रंग छुड़ाने के 7 तरीके.
1.बेसन में नींबू व दूध मिलाकर उसका पेस्ट बनाकर अपनी त्वचा पर लगाएं। लगभग पंद्रह से बीस मिनट तक इस पेस्ट को त्वचा पर लगा रहने दें और फिर गुनगुने पानी से मुंह-हाथ धो लें
2. खीरे का रस निकालकर उसमें थोड़ा-सा गुलाब जल और एक चम्मच सिरका मिला लें. अब इसे अच्छी तरह से मिलाकर पेस्ट तैयार करें और चेहरे को इससे साफ करें. आपके चेहरे पर लगे सारे दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे और त्वचा खिली-खिली हो जाएगी.
3. मूली का रस निकालकर उसमें दूध व बेसन या मैदा मिलाकर पेस्ट बनाएं और उसे चेहरे पर कुछ देर तक लगाए रखने के बाद चेहरा साफ कर लें. ऐसा करने से भी चेहरा साफ हो जाता है.
4. अगर आपकी त्वचा पर ज्यादा गहरा रंग लग गया हो तो, दो चम्मच जिंक ऑक्साइड और दो चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर लेप तैयार कर इसे चेहरे पर लगाएं. अब स्पंज से हल्के हाथों से रगड़कर चेहरा धो लें और बीस-पच्चीस मिनट बाद साबुन लगाकर चेहरा धोएं. आपकी त्वचा पर लगा रंग उतर जाएगा.
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