स्विट्जरलैंड(Switzerland) में एक प्रयोग करके वैज्ञानिकों ने गिरती बिजली(Lightning) का रास्ता मोड़ दिया. यह तकनीक बिजली गिरने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए मददगार हो सकती है.
1750 में बेंजामिन फ्रैंकलिन(Benjamin franklin) ने जब पतंग वाला अपना मशहूर प्रयोग किया था तो पहली लाइटनिंग रॉड यानी बिजली गिरने से बचाने वाली छड़ बनाई थी. तब उन्होंने एक पंतग को चाबी बांधकर तूफान में उड़ाया था. उस वक्त शायद ही उन्होंने सोचा होगा कि आने वाली कई सदियों तक यही सबसे अच्छा तरीका बना रहेगा.
बिजली का रास्ता मोड़ा गया
वैज्ञानिकों ने उस खोज को बेहतर बनाने की दिशा में अब जाकर कुछ ठोस कदम बढ़ाए हैं. लेजर की मदद से वैज्ञानिकों ने गिरती बिजली का रास्ता मोड़ने में कामयाबी हासिल की है. 16 जनवरी को उन्होंने इसका ऐलान किया. उन्होंने बताया कि उत्तर-पूर्वी स्विट्जरलैंड में माउंट सांतिस(mount santis) की चोटी से उन्होंने आसमान की ओर लेजर फेंकी और गिरती बिजली को मोड़ दिया.
वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस तकनीक में और ज्यादा सुधार के बाद इसे अहम इमारतों की सुरक्षा में लगाया जा सकता है और बिजली गिरने से स्टेशनों, हवाई अड्डों, विंड फार्मों और ऐसी ही जरूरी इमारतों को नुकसान से बचाया जा सकता है. इसका फायदा ना सिर्फ भवनों को होगा बल्कि संचार साधनों और बिजली की लाइनों जैसी अहम सुविधाओं की सुरक्षा के साथ-साथ हर साल हजारों लोगों की जान भी बचाई जा सकेगी.
इस प्रयोग को कैसे किया गया
यह प्रयोग माउंट सांतिस(mount santis) पर एक टेलिकॉम टावर पर किया गया, जो यूरोप में बिजली गिरने से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. 124 मीटर ऊंचा यह टावर स्विसकॉम(Swisscom) कंपनी ने उपलब्ध कराया था. 2,500 मीटर ऊंची चोटी पर कुछ मशीनों को गोंदोला(Gondola) के जरिए पहुंचाया गया तो कुछ के लिए हेलीकॉप्टर की मदद ली गई.
2021 में दो महीने तक चले इस प्रयोग के दौरान बेहद तीक्ष्ण लेजर किरणों(sharp laser rays) को 1,000 बार प्रति सेंकड की दर से आसमान की ओर फेंका गया. इस लेजर का निशाना कड़कती हुई बिजली थी. जब सिस्टम चालू था तब चार बार बिजली(Lightning) कड़की और उस पर सटीक निशाना लगाया गया.
पहली बार में तो शोधकर्ताओं ने दो तेज रफ्तार कैमरों की मदद से बिजली के रास्ते का मुड़ना रिकॉर्ड भी कर लिया. बिजली अपने रास्ते से 160 फुट यानी करीब 50 मीटर तक भटक गई थी. हालांकि हर बार भटकाव का रास्ता अलग रहा.
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