Draupadi Murmu आदिवासी समुदाय से संबंध रखने वाली और उड़ीसा राज्य में पैदा हुई द्रौपदी मुर्मू को हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा भारत के अगले राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार के तौर पर सिलेक्ट किया गया है और यही वजह है कि इंटरनेट पर आजकल द्रौपदी मुर्मू के बारे में जानना चाहते हैं, इस प्रकार आइए इस आर्टिकल में द्रौपदी मुर्मू के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।
नाम (Name) द्रौपदी मुर्मू जन्म तारीख (Date of birth) 20 जून 1958 उम्र( Age) 64 साल (2022 में ) जन्म स्थान (Place of born ) मयूरभंज, उड़ीसा, भारत शिक्षा (Education ) कला स्नातक स्कूल (School ) ज्ञात नहीं कॉलेज (College ) रमा देवी महिला कॉलेज,
भुवनेश्वर, ओडिशाराशि (Zodiac Sign) मिथुन राशि गृहनगर (Hometown) मयूरभंज, उड़ीसा, भारत कद (Height ) 5 फ़ीट 4 इंच वजन (Weight ) 74 किग्रा आँखों का रंग (Eye Color) काला बालो का रंग( Hair Color) काला नागरिकता(Nationality) भारतीय धर्म (Religion) हिन्दू जाति (Cast ) अनुसूचित जनजाति पेशा (Occupation) राजनीतिज्ञ राजनीतिक दल (Political Party) भारतीय जनता पार्टी वैवाहिक स्थिति (Marital Status) विधवा संपत्ति (Net Worth ) रु 9.5 लाख
द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन
हाल ही में एनडीए के द्वारा द्रौपदी मुर्मू(Draupadi Murmu) को भारत के राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तुत किया गया है। द्रौपदी मुर्मू का जन्म साल 1958 में एक आदिवासी परिवार में भारत देश के उड़ीसा राज्य के मयूरभंज इलाके में 20 जून को हुआ था।
इस प्रकार से यह एक आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली महिला है और एनडीए के द्वारा इन्हें भारत के अगले राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तुत किया गया है और यही वजह है कि आजकल इंटरनेट पर द्रोपति मुर्मू की काफी चर्चा हो रही है।
द्रोपदी मुर्मू की शिक्षा
जब इन्हें थोड़ी समझ प्राप्त हुई, तभी इनके माता-पिता के द्वारा इनका एडमिशन इनके इलाके के ही एक विद्यालय में करवा दिया गया, जहां पर इन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को पूरा किया। इसके पश्चात ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए यह भुवनेश्वर शहर चली गई। भुवनेश्वर शहर में जाने के पश्चात इन्होंने रामा देवी महिला कॉलेज में एडमिशन प्राप्त किया और रामा देवी महिला कॉलेज से ही इन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई कंप्लीट की।
ग्रेजुएशन की एजुकेशन पूरी करने के पश्चात ओडिशा गवर्नमेंट में बिजली डिपार्टमेंट में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर इन्हें नौकरी प्राप्त हुई। इन्होंने यह नौकरी साल 1979 से लेकर के साल 1983 तक पूरी की। इसके बाद इन्होंने साल 1994 में रायरंगपुर में मौजूद अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में टीचर के तौर पर काम करना चालू किया और यह काम इन्होने 1997 तक किया।
द्रौपदी मुर्मू का परिवार
इनके पिताजी का नाम बिरांची नारायण टुडू है और द्रौपदी मुरमू(Draupadi Murmu) संताल आदिवासी फैमिली से संबंध रखती हैं। झारखंड राज्य के बनने के पश्चात 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाली द्रोपदी मुर्मू पहली महिला राज्यपाल है। इनके पति का नाम श्याम चरण मुर्मू है।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन
उड़ीसा गवर्नमेंट में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू को साल 2000 से लेकर के साल 2004 तक ट्रांसपोर्ट और वाणिज्य डिपार्टमेंट संभालने का मौका मिला।
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इन्होंने साल 2002 से लेकर के साल 2004 तक उड़ीसा गवर्नमेंट के राज्य मंत्री के तौर पर पशुपालन और मत्स्य पालन डिपार्टमेंट को भी संभाला।
साल 2002 से लेकर के साल 2009 तक यह भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर भी रही।
भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के पद को इन्होंने साल 2006 से लेकर के साल 2009 तक संभाला।
एसटी मोर्चा के साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर के पद पर यह साल 2013 से लेकर के साल 2015 तक रही
झारखंड के राज्यपाल के पद को उन्होंने साल 2015 में प्राप्त किया और यह इस पद पर साल 2021 तक विराजमान रही।
1997 में चुनी गई थी जिला पार्षद
साल 1997 का वह समय था, जब ओडिशा के रायरंगपुर जिले से पहली बार इन्हें जिला पार्षद चुना गया, साथ ही यह रायरंगपुर की उपाध्यक्ष भी बनी। इसके अलावा इन्हें साल 2002 से लेकर के साल 2009 तक मयूरभंज जिला भाजपा का अध्यक्ष बनने का मौका भी मिला। साल 2004 में यह रायरंगपुर विधानसभा से विधायक बनने में भी कामयाब हुई और आगे बढ़ते बढ़ते साल 2015 में इन्हें झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य के राज्यपाल के पद को संभालने का भी मौका मिला।
द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होना
अभी तक काफी लोग द्रौपदी मुर्मू के बारे में नहीं जानते थे परंतु हाल ही में चार-पांच दिनों से यह काफी चर्चा में हैं। लोग इंटरनेट पर यह सर्च कर रहे हैं कि द्रोपदी मुर्मू कौन है तो बता दे कि द्रौपदी मुरमू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी है। इसके अलावा यह एक आदिवासी महिला है। इन्हें एनडीए के द्वारा हाल ही में भारत के अगले राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया गया है।
इस प्रकार अगर द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनने में कामयाब हो जाती है, तो यह पहली ऐसी आदिवासी महिला होगी, जो भारत देश की राष्ट्रपति बनेगी, साथ ही यह दूसरी ऐसी महिला होंगी, जो भारत देश के राष्ट्रपति के पद को संभालेंगी। इसके पहले भारत देश के राष्ट्रपति के पद पर महिला के तौर पर प्रतिभा पाटिल विराजमान हो चुकी है।
पति और दो बेटों का छूट चुका है साथ
श्याम चरण मुर्मू के साथ द्रौपदी मुर्मू की शादी हुई थी, जिनसे इन्हे संतान के तौर पर टोटल 3 बच्चे प्राप्त हुए थे, जिनमें दो बेटे थे और एक बेटी थी। हालांकि इनका व्यक्तिगत जीवन ज्यादा सुखमय नहीं था, क्योंकि इनके पति और इनके दोनों बेटे अब इस दुनिया में नहीं है। इनकी बेटी ही अब जिंदा है जिसका नाम इतिश्री है, जिसकी शादी द्रौपदी मुर्मू(Draupadi Murmu) ने गणेश हेम्ब्रम के साथ की है।
द्रोपदी मुर्मू को प्राप्त पुरस्कार
द्रौपदी मुरमू(Draupadi Murmu) को नीलकंठ पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए साल 2007 में प्राप्त हुआ था। यह पुरस्कार इन्हें ओडिशा विधानसभा के द्वारा किया गया था।
आदिवासी समुदाय के बारे में
आदिवासी शब्द दो शब्दों ‘आदि’ और ‘वासी’ से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है। भारत की जनसंख्या का 8.6% (10 करोड़) जितना एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है। पुरातन लेखों में आदिवासियों को अत्विका कहा गया है। महात्मा गांधी ने आदिवासियों को गिरिजन (पहाड़ पर रहने वाले लोग) कह कर पुकारा है। भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए ‘अनुसूचित जनजाति’ पद का उपयोग किया गया है।
भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में आंध, गोंड,खरवार,मुण्डा, खड़िया, बोडो, कोल, भील, कोली, सहरिया, संथाल, मीणा, भूमिज, उरांव, लोहरा, बिरहोर, पारधी, असुर, टाकणकार आदि हैं।
भारत में आदिवासियों को प्रायः ‘जनजातीय लोग’ के रूप में जाना जाता है। आदिवासी मुख्य रूप से भारतीय राज्यों उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि में बहुसंख्यक व गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक है जबकि भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों में यह बहुसंख्यक हैं, जैसे मिजोरम। भारत सरकार ने इन्हें भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची में ” अनुसूचित जनजातियों ” के रूप में मान्यता दी है। अक्सर इन्हें अनुसूचित जातियों के साथ एक ही श्रेणी ” अनुसूचित जाति एवं जनजाति ” में रखा जाता है।
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