चीन(China) ने अपनी डिजिटल मुद्रा(digital currency) ई-युआन(Chinese Yuan) को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं. देश में डिजिटल मुद्रा तेजी से बढ़ रही है, जबकि भारत अभी शुरुआत करने के प्रयास में है.
डिजिटल करंसी से बढ़ेगे उपभोक्ता
Covid से प्रभावित अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए चीन डिजिटल करंसी का इस्तेमाल कर रहा है. महामारी के कारण कम हुए उपभोग को बढ़ावा देने के लिए चीन ग्राहकों के वास्ते खरीददारी को आसान बनाना चाहता है, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा चीजें खरीदें और धन खर्च करें. इसके लिए चीन(China) ने डिजिटल करंसी को खासा बढ़ावा दिया है और लोग भी इसे हाथोहाथ ले रहे हैं.
दक्षिणी शहर शेनजेन ने इसी हफ्ते से 3 करोड़ चीनी युआन यानी लगभग 35 करोड़ भारतीय रुपये लोगों के बीच मुफ्त बांटने की योजना शुरू की है. इसका मकसद लोगों को खर्च के लिए धन देना है ताकि वे उपभोग बढ़ाएं और व्यापार जगत को गति मिले. यह धन डिजिटल करंसी के रूप में दिया जा रहा है. उत्तरी प्रांत हेबेई में भी कुछ दिन पहले शियोंग शहर ने 5 करोड़ युआन मूल्य की डिजिटल करंसी यानी ई-युआन तोहफे के तौर पर लोगों के बीच बांटे थे.
तेजी से बढ़ रहा है ई-युआन(E-Yuan)
चीन(China) उन देशों में अगली पंक्ति में है जो डिजिटल करंसी(Digital Currency) को बढ़ावा दे रहे हैं. पिछले कुछ समय में कई देशों में डिजिटल करंसी को लेकर रफ्तार तेज हो गई है और चीन सबसे तेजी से बढ़ रहे देशों में है. अब ई-युआन का इस्तेमाल चीन दोहरे फायदे के लिए कर रहा है. एक तो इससे उपभोग बढ़ाने में मदद मिल रही है और दूसरा, डिजिटल करंसी का प्रसार हो रहा है.
देश के केंद्रीय बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल 26.1 करोड़ चीनियों ने ई-वॉलेट का प्रयोग किया और 87.6 अरब युआन यानी लगभग 10 खरब रुपये का लेनदेने डिजिटल मुद्रा में हुआ. पीडब्लयूसी चाइना नामक संस्था में वरिष्ठ अर्थशास्त्री जी. बिन शाओ कहते हैं कि इससे पारदर्शिता बढ़ी है.
उन्होंने कहा, “पहले जब सरकार सब्सिडी देती थी, तो जरूरतमंदों तक धन पहुंचाने में बहुत सी बाधाएं आती थीं. ई-युआन के रूप में कैश सीधा आपके हाथ में आता है.” बिन शाओ कहते हैं कि भविष्य में सरकार पेंशन भुगतान से लेकर ढांचागत विकास परियोजनाओं पर खर्च तक विभिन्न मदों में ई-युआन का प्रयोग कर सकती है.
ई-करेंसी को और बढ़ावा देने की जरुरत
यिनटेक इनवेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी(Yintech Investment Holdings Company) में मुख्य अर्थशास्त्री शिया चुन का मानना है कि जहां तक सब्सिडी देने का सवाल है तो पारंपरिक तरीकों के मुकाबले ई-युआन ज्यादा फलोत्पादक और तेज है. हालांकि उन्हें लगता है कि सरकार फिलहाल इसे जितना बढ़ावा दे रही है, वह नाकाफी है.
पेकिंग विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले अर्थशास्त्री लिन यीफू ने इसी महीने एक भाषण में कहा था कि चीन को हर उस क्षेत्र के परिवारों को एक-एक हजार युआन (करीब 11,000 रुपये) देने चाहिए, जहां-जहां लॉकडाउन लगा है, और इनमें से आधी रकम डिजिटल मुद्रा में हो सकती है.
शेनजेन में जारी अभियान में उपभोक्ताओं(consumers) को मुफ्त ई-युआन पाने के लिए एक लॉट्री में हिस्सा लेना है. यह मुद्रा दुकानों के अलावा सीधे ऑनलाइन से खरीददारी में भी इस्तेमाल की जा सकती है. शियोंगन इलाके में डिजिटल कैश सब्सिडी का प्रयोग खाने के उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक आइटम और फर्नीचर खरीदने के लिए किया जा सकता है.
भारत में डिजिटल करंसी का हो चूका है ऐलान
इसी साल अपने सालाना बजट में भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि भारत अगले वित्त वर्ष में डिजिटल मुद्रा(Digital Currency) की शुरुआत करेगा. सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी (CBDC) नामक इस मुद्रा के जरिए भारत डिजिटल इकॉनमी को बढ़ावा देना चाहता है. साथ ही उसका ध्यान पहले से बाजार में उपलब्ध निजी डिजिटल मुद्राओं का विकल्प उपलब्ध कराने पर भी है, जो हाल के सालों में बहुत तेजी से बढ़ी हैं.
एक अनुमान के मुताबिक भारत में 1.5 से दो करोड़ लोग क्रिप्टोकरंसी में निवेश कर चुके हैं जबकि भारत में 400 अरब रुपये से ज्यादा की क्रिप्टोकरंसी मौजूद है. लेकिन भारत का केंद्रीय बैंक फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है.
आरबीआई का कहना
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फरवरी में मीडिया से बातचीत में कहा था कि खतरे कई हैं, इसलिए सोच-समझकर कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा था, “सबसे बड़ा खतरा तो साइबर सुरक्षा का है. फिर, नकली मुद्रा का भी खतरा है.” उन्होंने कहा था कि भारत खुदरा और थोक दोनों तरीके से डिजिटल मुद्रा(Digital Currency) लाने के मॉडलों पर विचार कर रहा है.
क्या होती है डिजिटल करेंसी?
डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency) है. जिस देश का केंद्रीय बैंक (Central Bank) इसे जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (Balance Sheet) में भी शामिल होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी (Sovereign Currency) में बदला जा सकता है. भारत के मामले में आप इसे डिजिटल रुपया कह सकते हैं।
डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है-रिटेल (Retail) और होलसेल (Wholesale)। रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं. होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है
क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है
क्रिप्टो करेंसी दरअसल, वित्तीय लेन-देन का एक जरिया है. बिल्कुल भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर के समान, अंतर सिर्फ इतना है कि यह आभाषी है और दिखाई नहीं देती, न ही आप इसे छू सकते हैं. इसलिए इसे डिजिटल करेंसी भी कहते हैं. इसका पूरा कारोबार ऑनलाइन माध्यम से ही होता है.
जहां एक ओर किसी भी देश की करेंसी के लेन-देन के बीच में एक मध्यस्थ होता है, जैसे भारत में केंद्रीय बैंक, लेकिन क्रिप्टो के कारोबार में कोई मध्यस्थ नहीं होता और इसे एक नेटवर्क द्वारा ऑनलाइन संचालित किया जाता है.
यही कारण है कि इसे अनियमित बाजार के तौर पर जाना जाता है, जो पल में किसी को अमीर बना देता है और एक झटके में उसे जमीन पर गिरा देता है. लेकिन बावजूद इस उतार चढ़ाव के इसको लेकर लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है.
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