जगन्नाथ मंदिर(Jagannath Temple)या जगन्नाथपुरी(Jagannath Puri ) भारत का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जहा हर रोज 2,000 से 20,000 श्रद्धालु दर्शन करने आते है , पर इस मंदिर का ऐसा रहस्य है जिसके बारे में कोई नहीं जानता , वैज्ञानिक भी इस रहस्य के बारे में नहीं जानते . आज हम इसी रहस्य के बारे में आप लोगो को बताने वाले है .
जगन्नाथपूरी भारत के चार धामों में से एक है जैसे बद्रीनाथ धाम को आठवा वैकुण्ठ माना जाता है वैसे ही जगन्नाथ धाम को धरती का वैकुण्ठ स्वरूप माना गया है. यहाँ भगवान अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है . कहा जाता है की द्वापर के बाद भगवान श्री कृष्ण जगन्नाथ के रूप में पूरी में निवास करने लगे .
JagannathPuri Rath Yatra 2022
भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. पिछले दो साल से कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के चलते भक्तों को रथ यात्रा में जाने अनुमति नहीं थी लेकिन इस बार इसे शुरू किया गया है. बता दें कि 1 जुलाई से 12 जुलाई तक भगवान जगन्नाथ(Jagannath Puri) की रथ यात्रा का कार्यक्रम जारी रहेगा. हिंदू पंचाग (Hindu Panchang) के अनुसार, अषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा निकाली जाती है. जान लें कि भारत के 4 पवित्र धामों में से ओडिशा (Odisha) के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर (Lord Jagannath Temple) एक है.
भगवान जगन्नाथ((Jagannath Puri)) की रथ यात्रा में उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र भी शामिल होते हैं. कहा जाता है कि बहन सुभद्रा ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ और भाई बलभद्र उन्हें रथ पर लेकर निकले थे, इस दौरान वो अपनी मौसी के घर गंडिचा में भी गई थीं. तब से ही रथ यात्रा परंपरा की शुरुआत हुई. भगवान जगन्नाथ के मंदिर में कई चौंका देने वाले रहस्य हैं, आइए इनके बारे में जानते हैं.
इस मदिर की ऐसी बहुत सी विशेषताएं जिसे जानने के बाद आप भी हैरान रह जायेगे –
मंदिर की कोई परछाईं नहीं-
विज्ञान के इस नियम को आप जानते ही होंगे कि जिस वस्तु पर रोशनी पड़ेगी उसकी परछाई भी बनेगी छोटी बने या बड़ी . पर इस Temple की कोई परछाई नहीं बनती है. पता नहीं इस मंदिर में कौन सी टेक्नोलॉजी प्रयोग में लाई गई है या कौन सा चमत्कार है किसी को नहीं पता .
हवा के विपरीत ध्वज का लहराना –
सामान्यतः सभी ध्वज हवा के दिशा में लहराते है , पर इस मंदिर का भव्य ध्वज हवा के विपरीत दिशा में लहराता है ऐसा क्यों होता है इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है. और इस Temple का ध्वज हर रोज बदला जाता है . ऐसी मानवता है की अगर एक दिन इस मंदिर का ध्वज नहीं बदला गया तो यह मंदिर अगले 18 साल के लिए बन्द हो जाएगा .
विमान और पक्षी का उड़ना है मना –
इस मंदिर के ऊपर विमान और पक्षी का उड़ना मना तो नहीं है परन्तु इस मंदिर के ऊपर आपको एक भी पक्षी बैठे हुए नहीं दिखाई देंगे , जैसे की हर मंदिर के ऊपर कोई न कोई पक्षी दिखाई देती है . यहाँ पर ऐसा क्या है की इसके ऊपर कोई पक्षी नहीं बैठती यह किसी को नहीं पता .
समुन्द्री लहरों की आवाज –
जगन्नाथपुरी मंदिर का जो मुख्य दरवाजा है अगर आप उसके बाहर खड़े है तो आपको समुन्द्र की ध्वनि सुनाई देगी , लेकिन आप जैसे ही दरवाजे के अंदर प्रवेश करेगें तो यह ध्वनि सुनाई देना बंद हो जाएगी . और जैसे ही द्वार के बाहर आयेगे पुनः समुन्द्र की ध्वनि सुनाई देना शुरु हो जाएगी. यह किसी चमत्कार से कम नहीं है .
इसी तरह मंदिर के बाहर स्वर्ग द्वार है जहा मोक्ष प्राप्ति के लिए शव जलाये जाते है , तो बाहर शवो के जलने की गंध महसूस होती है लेकिन आप जैसे ही द्वार के अंदर प्रवेश करेगे तो कोई गंध महसूस नहीं होगी .
हवा की दिशा –
समुन्द्री इलाको में दिन के समय हवा समुन्द्र से धरती की तरफ बहती है लेकिन यहाँ जगन्नाथपुरी(Jagannath Puri) में इसका उल्टा होता है , यहाँ हवा धरती से समुन्द्र की तरफ जाती है .
मंदिर के ऊपर का सुदर्शन चक्र –
इस Temple के ऊपर का जो सुदर्शन चक्र उसे आप किसी भी कोने से देखेगे तो यह आपको बिलकुल सीधा दिखेगा , जैसे लगेगा की आप उसके सामने खड़े है . इसे नील चक्र भी कहा जाता है . यह अष्टधातु से निर्मित है .
जगन्नाथ पूरी से जुड़े रोचक तथ्य –
- इस जगन्नाथपुरी मंदिर की ऊंचाई लगभग 45 मंजिला मकान के बराबर है .
- मंदिर का ध्वज रोज बदलने की प्रथा अंतिम 18,00 सालो से चली आ रही है .
- यहाँ पर रोज भक्तो के लिए प्रसाद बनाया जाता है जिसमे से एक बूंद भी प्रसाद व्यर्थ नहीं जाता है.
- जगन्नाथ मंदिर की मुर्तिया प्रत्येक 12 सालो में बदली जाती है.
- प्रसाद बनाने के लिए 7 मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है इन बर्तनों को लकड़ी के चूल्हे पर एक के ऊपर एक रखा जाता है , हैरानी की बात यह सबसे पहले ऊपर के बर्तन में रखा प्रसाद पकता है और अंत में जो चूल्हे के समीप होता है वो पकता है .
- श्री जगन्नाथमंदिर भारत में ओडिशा राज्य के पूरी शहर में स्थित है .
- इस मंदिर की स्थापना 12 वीं सताब्दी में हुई थी, यानि 1174 ई में.
- पुरी के जगन्नाथ मंदिर(Jagannath Puri) में 12 साल बाद भगवान की मूर्तियां बदली जाती हैं.
- मूर्ति बदलते समय पुजारी की आंखों में पट्टी बंधी होती है और मंदिर में अंधेरा कर दिया जाता है.
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