आपको ये पता होगा की ज्वालामुखी(Volcano) एक ऐसा पहाड़ होता है जिसके निचे पिघले हुए लावा का भंडार होता है.
ज्वालामुखी(Volcano)
जब धरती के निचे उर्जा या जियोथर्मल एनर्जी से पत्थर पिघलते है तब जमीन के निचे से ऊपर की ओर दबाव बढ़ता है तो यह पहाड़ ऊपर से फट जाता है और ज्वालामुखी कहलाता है.
ज्वालामुखी(Volcano) पृथ्वी पर घटित होने वाली एक आकस्मिक घटना है इससे भू-पटल पर अचानक विस्पोट होता है जिसके माध्यम से लावा , गैस , धुँआ , राख , कंकड़ , पत्थर आदि बाहर निकलते है.
मेग्मा और लावा (Magma and Lava)
ज्वालामुखी के निचे पिघले हुए पत्थरों और गैसों को ‘मेग्मा’ कहते है. और ज्वालामुखी फटने के बाद जब यह मैग्मा बाहर निकलता है तो इसे ही ‘लावा’ कहते है .
ज्वालामुखी(Volcano) फटने से बड़ी मात्रा में गैस और पत्थर ऊपर की ओर निकलते है उल्लेखनीय हैं की जमीन के निचे हलचल मचने से भूस्खलन और बाढ़ जैसी समस्याएं भी आती है. ज्वालामुखी से निकले राख में पत्थर के छोटे-छोटे कण भी पाए जाते है और इससे मनुष्यों , पशु पक्षियों को चोट पहुच सकती है और यह कॉच जैसे होते है. जो काफी नुकसानदायक होते है.
फ़िलहाल दुनिया में 500 से ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं इनमे आधे से ज्यादा Ring Of Fire का हिस्सा है . यह प्रसान्त महासागर के चारो ओर ज्वालामुखियो के हार जैसा है इसलिए इसे रिंग ऑफ़ फायर कहते है .
ज्वालामुखी के मापन
वर्ष 1982 में ज्वालामुखी की तीव्रता मापने के शुन्य से आठ स्केल वाला VEI (ज्वालामुखीय विस्फोट सूचकांक) इंडेक्स बनाया गया.
शुन्य से दो के स्कोर वाले ज्वालामुखी(Volcano) रोजाना फटते है, लेकिन तीसरी श्रेणी के ज्वालामुखी का फटना घातक होता है और यह हर साल होते है. लेकिन चार और पांच श्रेणी के ज्वालामुखी एक दशक या सदी में एक बार फटते है और इनका लावा 25 किलोमीटर तक ऊँचा हो सकता है. छ: और सात की श्रेणी वाले ज्वालामुखी से सुनामी आती है या भूकंप आता है. और आठवीं श्रेणी के बहुत कम ही ज्वालामुखी है ऐसे ज्वालामुखी में पिछला विस्पोट ईसा से 24,000 वर्ष पहले हुआ था.
ज्वालामुखी के प्रकार(Type of Volcano) –
सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी तीन प्रकार की होती है.
1. सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी
इस प्रकार के ज्वालामुखियो में बहुधा (बार-बार) उद्गार होते रहते है. एटना व स्ट्रॉमब्ली इटली के सक्रिय ज्वालामुखी है.
2. प्रसुप्त ज्वालामुखी
ऐसे ज्वालामुखियो से कुछ समय की सुषुप्ति(निद्रा) के पश्चात पुनः उद्गार होते रहते है इटली का विसुवियस इसी प्रकार का ज्वालामुखी है. जिसमे सन 1631 , 1812 , 1906, 1943 में उद्गार हो चुके है.
3. मृत या शांत ज्वालामुखी
ऐसे ज्वालामुखी के बारे में वैज्ञानिक की अपेच्छा है कि वे नहीं फटेंगे. इनके बारे में यह अनुमान लगाया जाता है की इनके अन्दर का मैग्मा ख़त्म हो चूका है . अगर किसी ज्वालामुखी के कभी भी विस्पोट होने की संभावना नहीं हो तो उसे मृत समझा जाता है.
ज्वालामुखी के विस्पोट
आपको यह जानकर हैरानी होगी की इस लेख को पढ़ने के दौरान ही दुनिया में लगभग 20 ज्वालामुखी फट चुके होगे.
हवाई का क्राकातोआ ज्वालामुखी सबसे खतरनाक ज्वालामुखियो में माना जाता है. वर्ष 1883 में इसके फटने से सुनामी आई थी जिसमे 36,000 लोग मारे गए थे. विसूवियस ज्वालामुखी के फटने से 16,000 लोग मारे गए थे. वर्ष 1902 में मार्टिनीक में ज्वालामुखी फटने से 30,000 लोग मारे गए थे.
एक बार आइसलैंड में ज्वालामुखी फटने से पुरे यूरोप में राख के बादल छा गए थे जिसके कारण हवाई जहाजो को उड़ने से रोक दिया गया था. जबकि 2010 में इंडोनेशिया के मेरापी ज्वालामुखी फटने से हजारो लोगो की जाने चली गयी थी.
ज्वालामुखी के बारे में वैज्ञानिको का क्या कहना है
वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी की सतह का 80% से ज्यादा हिस्सा ज्वालामुखियों के फटने का परिणाम है. इनसे निकला लावा करोड़ों साल पहले जम गया होगा और इससे जमीन की सतह बनी होगी. इतना ही नहीं, समुद्र तल और कई पहाड़ भी ज्वालामुखी के लावा की देन हैं. ज्वालामुखी से निकली गैसों से वायुमंडल की रचना हुई.
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