महाशिवरात्रि भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। Mahashivratri पर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओ के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्रिलिंग(जो महादेव का विशालकाय स्वरुप है ) के उदय से हुआ।
इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में 12 शिवरात्रि पड़ती है लेकिन महा शिरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत के साथ अन्य देशो में भी Mahashivratri का त्यौहार बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रहते है और शिव को फल – फुल अर्पित करते है उसके साथ शिवलिंग पर दूध या जल भी अर्पित करते है। कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर – रात्रि और बोलचाल में हेराथ या हेरथ भी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि पूजा 2022 date :
हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का महत्व बहुत ज्यादा है। इस साल महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 , मंगलवार को मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि कथा
महाशिवरात्रि से सम्बंधित बहुत सी कथाये प्रचलित है।
1. समुन्द्र मंथन
समुन्द्र मंथन अमर अमृत का उत्पादन करने के लिए निश्चित किया गया था , लेकिन इसके साथ एक विष भी पैदा हो गया इस विष का नाम हलाहल था।
हलाहल विष के पास ब्रह्माण्ड को नष्ट करने की क्षमता थी और इस विष को केवल भगवान शिव ही नष्ट कर सकते थे। भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में रख लिया था। जहर इतना शक्तिशाली था की भगवान शिव दर्द से पीड़ित हो गए और उनका गला बहुत ही नीला हो गया था। इस कारण शिव शंकर “नीलकंठ” के नाम से प्रसिद्ध है। उपचार के लिए , चिकित्सको ने भगवान शिव को रात भर जागने की सलाह दी। शिव के चिंतन में एक सतर्कता रखी । शिव को जागते रहने के लिए और साथ में आनंद के लिए देवताओ ने अलग -अलग नित्य और संगीत बजाये। जैसे सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया। महाशिवरात्रि इसी घटना का उत्सव है।
2. शिव और पार्वती का विवाह
शिवभक्त इस दिन भगवान शिव के शादी का उत्सव मनाते है। मान्यता है की शिवरात्रि के दिन शिवजी कि शादी शक्ति के साथ हुई थी। इस दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।
शिव के बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग (प्रकाश के लिंग) जो पूजा के लिए भगवान शिव के धार्मिक स्थल एवं केंद्र है। ये बारह ज्योतिर्लिंग स्वय उत्पन्न हुए थे जो “स्वयम्भू” के रूप में जाने जाते हैं। बारह स्थानों पर बारह ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
- सोमनाथ – यह शिवलिंग गुजरात के काठीयावाड़ा में स्थापित है।
- श्री शैल मल्लिकार्जुन – मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है।
- महाकालेश्वर – उज्जैन के अवन्ती नगर में यह शिवलिंग स्थित है , जहा शिव जी ने दैत्यों का नाश किया था।
- ओंकारेश्वर – यह मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है।ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में कि गई है।
- नागेश्वर – गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थित है।
- वैद्यनाथ – यह शिवलिंग विहार में स्थापित है।
- भीमाशंकर – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भीमा नदी के किनारे स्थित है।
- त्र्यम्बकेश्वर – महाराष्ट्र के नासिक जिले से 25 किलोमीटर की दुरी पर यह शिवलिंग स्थित है।
- केदारनाथ – केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखण्ड के हिमालय की चोटी पर विराजमान है।
- विश्वनाथ – यह ज्योतिर्लिंग बनारस के कशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित है।
- रामेश्वर – यह तमिलनाडु के रामेश्वरम में विराजमान है।
- घुमेश्वर – महाराष्ट्र के ओरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गावं में यह ज्योतिर्लिंग स्थित है।
भारत में शिवरात्रि
मध्य भारत
मध्य भारत में महाकालेश्वर (उज्जैन) मंदिर सबसे सम्माननीय भगवान शिव का मंदिर है। जहा हर वर्ष शिव भक्त एक बड़ी संख्या में महाशिरात्रि के दिन पूजा – अर्चना के लिए आते है। जेओनरा सिवनी के मठ मंदिर व जबलपुर के तिलवाड़ा घाट नामक स्थानों पर यह त्योहार बहुत धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा दमोह जिले के बान्दकपुर धाम में भी इस दिन लाखो लोगो का जमावड़ा होता है।
कश्मीर में शिवरात्रि
कश्मीर में यह त्योहार शिव और पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव 6 से 7 दिनों तक चलता है। कश्मीरी ब्राह्मणों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।
दक्षिण भारत
महाशिवरात्रि आंध्रप्रदेश , कर्नाटका , केरल , तमिलनाडु और तेलंगाना आदि के सभी मंदिरों में व्यापक रूप से मनाया जाता है।
बांग्लादेश में शिवरात्रि
बांग्लादेश में भी महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन वह शिव का व्रत रखने है कई शिवभक्त इस दिन चन्द्रनाथ धाम (चिटगावं) पूजा करने जाते है।
नेपाल में शिवरात्रि
नेपाल में महा शिवरात्रि को पशुपति नाथ मंदिर में ब्यापक रूप से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर काठमांडू के पशुपति मंदिर में भक्तजनों की भीड़ लगती है। इस दिन भारत समेत विश्व के विभिन्न स्थानों से जोगी एवं भक्तजन इस मंदिर में आते है।
शिव को आदि (प्रथम ) गुरु माना जाता है। शिव जिनको योग परम्परा की शुरुआत मानी जाती है। परम्परा के अनुसार, इस रात ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिनको भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है।
भगवान शिव के मंत्र
शिवजी का मूल मंत्र – ऊँ नम: शिवाय। है।
महाम्रितुन्जय मंत्र –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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