एक रिपोर्टें आई हैं जिनमें दावा किया गया है कि साल 2050 तक मुंबई और कोलकाता जैसे भारत के अहम शहर भी जलमग्न हो जाएंगे.
पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन हो रहा है. इसका ही नतीजा है कि कहीं बिन मौसम बरसात होती है तो कहीं बर्फ़बारी, भीषण गर्मी तक देखने को मिलती है.
हालांकि, दुनिया में अभी भी ऐसे कई शहर हैं जहां कभी लोगों का अस्तित्व होता था लेकिन अब ये पानी में डूब चुके हैं और इनके अवशेष देखने के लिए पर्यटकों को स्कूबा डाइविंग का सहारा लेना पड़ता है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबित दुनिया के पांच शहर पानी में पूरी तरह से डूब चुके हैं. यहां पहले कभी बड़ी आबादी हुआ करती थी ,
(1). इटली का ‘बाया’ शहर –
यह शहर कभी रोमवासियों के लिए पार्टी का अड्डा हुआ करता था अपने खुशनुमा मौसम, गर्म पानी के झरनों-तालाबों और असाधारण सी दिखने वाली इमारतों की वजह से जाना जाता था. रोमन सम्राट जूलियस सीज़र और नीरो दोनों के ही यहां आलीशान हॉलिडे विला हुआ करते थे. दुर्भाग्य से जिस ज्वालामुखीय गतिविधि की वजह से प्रसिद्ध गर्म पानी के सोते बने उन्हीं के कारण ये शहर जलमग्न हो गया.
यह शहर नेपल्स के करीब एक सुपरवॉल्कैनो यानी एक विशाल ज्वालामुखी, कैंपी फ्लेग्रेई (फेलग्रेयन फील्ड्स) के ऊपर बसाया गया था.समय के साथ बाया शहर की ज़मीन धीरे-धीरे चार से छह मीटर धँस गई और शहर का अधिकांश हिस्सा पानी में डूब गया.
साल 2002 के बाद से, बाया के अंडरवॉटर यानी जलमग्न इलाकों को स्थानीय प्रशासन ने संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया. अब सिर्फ लाइसेंस प्राप्त स्कूबा डाइवर्स एक गाइड के साथ पानी के अंदर मौजूद खंडहरों का पता लगाने आते हैं.
(2). मिस्र का थोनिस ‘हेराक्लिओन’ शहर –
यह शहर नील नदी के पश्चिमी मुहाने पर मैजूद है. यह कभी खुशहाल बंदरगाह हुआ करता था. यहां से 60 जहाज़ों और 700 से ज़्यादा जहाज़ ठहराने वाले लंगरों की खोज हुई है. पानी के अंदर डूबे इस शहर से अब तक कई कलाकृतियां बरामद हुई हैं. प्राचीन कहानियों में कई बार थोनिस हेराक्लिओन का उल्लेख किया गया है कि यह वह जगह थी जहां ग्रीक नायक हेराक्लीज़ (हरक्यूलिस) ने मिस्र में पहला कदम रखा था.
(3). डर्वेंट गावं , इंग्लैंड –
ऐसी मानता हैं कि डर्बीशायर के डर्वेंट गांव को लेडीबोवर जलाशय बनाने के लिए जानबूझकर डुबो दिया गया. बीसवीं सदी के मध्य में डर्बी, लीसेस्टर, नॉटिंघम और शेफ़ील्ड जैसे शहरों का फैलाव हुआ. यहां की बढ़ती आबादी को पानी की अधिक आपूर्ति की ज़रूरत थी. इस आपूर्ति को पूरा करने के लिए एक बांध और जलाशय बनाने की जरूरत थी. यहां दो जलाशय बनाए गए. इसके बाद तीसरा जलाशय के लिए काम शुरू हुआ. सन् 1935 में इसका काम शुरू हुआ और 1945 आते-आते डर्वेंट गांव पूरी तरह पानी में समा गया था.
(4). ‘विला एपेक्यूएन’ इलाका अर्जेंटीना –
विला एपेक्यूएन का झील किनारे मौजूद एक रिज़ॉर्ट करीब 25 साल तक पानी में दबे रहने के बाद साल 2009 में एक बार फिर से उभर कर सामने आया. सन् 1920 में बनाया गया लेक एपेक्यूएन नाम के इस रिज़ॉर्ट बनाया गया. साल 1980 के बाद से कई सालों तक भारी बारिश होती रही और जल स्तर बढ़ना शुरू हो गया. साल 1985 में एक तूफ़ान के बाद झील भर गई और पानी बाहर आने लगा जिसकी वजह से पूरा शहर जलमग्न हो गया. पानी भर जाने की वजह से यह शहर 10 मीटर खारे पानी के निचे दफ़न हो गया. ऐसा माना जाता था कि यह रिज़ॉर्ट जिस सॉल्ट लेक के किनारे स्थित था, वहां के पानी में कई बीमारियों के उपचार से संबंधित गुण थे.
(5). जमैका का ‘पोर्ट रॉयल’ गावं –
17वीं शताब्दी में यहां मौजूद समुद्री लुटेरों की घनी आबादी की वजह से इसे जाना जाता था. लेकिन अब यह एक ऐसा गावं बन चूका है, जहां कोई नींद में भी मछली पकड़ ले.
कहा जाता है कि 1692 में 10,000 लोग रहते थे. यहां लोग ईंट या लकड़ी से बने घरों में रहते थे. साल 1692 में यहां एक पोर्ट रॉयल भूकंप आया उसके कुछ ही समय बाद सूनामी आ गई.
बताया जाता है कि इससे शहर का करीब दो तिहाई हिस्सा पानी में समा गया. उस दिन करीब 2 हज़ार लोगों की मौत हुई थी.
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